कैसे आईपीएल दुनिया भर में क्रिकेट को नया आकार दे रहा है
आईपीएल न सिर्फ पूरी दुनिया में क्रिकेट को फैला रहा है, अपने फ्रेंचाइज़ी मालिकों को वैश्विक खेल जगत की प्रमुख ताकतें भी बना रहा है

2008 में शुरू होने के बाद से, इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) एक घरेलू टूर्नामेंट से आगे बढ़कर दुनिया के सबसे सफल खेल आयोजनों में शामिल हो चुकी है. इसने विश्व की ज्यादातर दूसरी टी20 लीगों के लिए एक नज़ीर बनाई है, खेल में कई अनोखे नियम जोड़े हैं और उन जगहों पर क्रिकेट को आगे बढ़ाने का काम भी किया है, जहां वह पहले ज्यादा लोकप्रिय नहीं था.
जब आईपीएल की शुरुआत हुई थी, तो कई लोगों को संदेह था कि शहरों या राज्यों की टीमों वाली कोई लीग, उस देश में कैसे सफल हो सकती है, जहां क्रिकेट देश के गौरव और एकता का प्रतीक है. लेकिन आईपीएल ने खेल, मनोरंजन और ग्लैमर का एक ऐसा कॉकटेल तैयार किया जिसने लोगों को इसका दीवाना बना दिया. इसकी कामयाबी की बड़ी वजहों में भारत का बढ़ता मिडिल क्लास, लोगों की बढ़ी आय और सैटेलाइट टीवी व इंटरनेट का असीमित प्रसार शामिल हैं. कुछ ही सालों में आईपीएल ने न सिर्फ अपने आलोचकों को गलत साबित किया, बल्कि एक ऐसी मिसाल भी कायम की, जिसने दुनिया की ज्यादातर क्रिकेट लीगों को इसका पिछलग्गू होने के लिए मजबूर कर दिया.
इंग्लैंड की द हंड्रेड लीग इसका एक उदाहरण है. 2021 में शुरू हुआ यह टूर्नामेंट आईपीएल की हूबहू कॉपी नहीं है लेकिन इससे ज्यादा दूर भी नहीं है. आईपीएल में एक पारी 20 ओवर्स की होती है और हंड्रेड में 100 बॉलों की. यानी दोनों टूर्नामेंट्स के मैच बहुत छोटे और ऐसे होते हैं कि इनमें दर्शकों के मनोरंजन को सबसे आगे रखा जाता है. इस लीग में हुआ जबर्दस्त भारतीय निवेश भी इसे आईपीएल के क़रीब खड़ा कर देता है. द हंड्रेट की चार टीमें - ओवल इनविंसिबल्स, मैनचेस्टर ओरिजिनल्स, नॉर्दर्न सुपरचार्जर्स और सदर्न ब्रेव - अब उन भारतीयों की हैं जो क्रमश: मुंबई इंडियंस, लखनऊ सुपर जायंट्स, सनराइजर्स हैदराबाद और दिल्ली कैपिटल्स के मालिक भी हैं. हंड्रेड की बची हुई चार में से दो टीमों का स्वामित्व भी भारतीय मूल के अमेरिकी उद्यमियों के पास है.
साल 2023 में लॉन्च हुई दक्षिण अफ़्रीका की क्रिकेट लीग - एसए-20 - क्रिकेट जगत पर आईपीएल के दबदबे का एक और बड़ा उदाहरण है. जैसा कि नाम से भी स्पष्ट है, इसकी सभी छह टीमों - ‘जोबर्ग सुपर किंग्स’, ‘एमआई केप टाउन’, ‘प्रीटोरिया कैपिटल्स’, ‘पार्ल रॉयल्स’, ‘सनराइजर्स ईस्टर्न केप’ और ‘डरबन’स सुपर जाइंट्स’ - के मालिक आईपीएल फ्रेंजाइजियां के मालिक ही हैं. यह आईपीएल की आर्थिक ताक़त को बखूबी दर्शाता है. इस भारी भारतीय निवेश ने साउथ अफ़्रीका की क्रिकेट में नई जान भर दी है.
साल 2013 में शुरू हुई कैरिबियन प्रीमियर लीग (सीपीएल) पर भी आईपीएल का असर साफ दिखता है. यह लीग आर्थिक रूप से एसए-20 या द हंड्रेड जितनी मज़बूत नहीं है, लेकिन इसमें भी कई प्रमुख भारतीय फ्रैंचाइजियों ने ठीक-ठीक निवेश किया है. कोलकाता नाइट राइडर्स ने इसकी शुरूआत ट्रिबैगो नाइट राइडर्स से की थी. इसके बाद पंजाब किंग्स और राजस्थान रॉयल्स ने सेंट लूसिया किंग्स और बार्बाडोस रॉयल्स को खरीदकर इस सिलसिले को आगे बढ़ाया.
परंपरागत रूप से क्रिकेट से दूर रहने वाला अमेरिका भी आईपीएल के प्रभाव से बच नहीं सका है. अमेरिकी क्रिकेट लीग - मेजर क्रिकेट लीग (एमसीएल) - की कई टीमों पर भी आईपीएल फ्रेंचाइजियों की छाप साफ़ दिखाई देती है. इनमें प्रमुख रूप से एमआई न्यूयॉर्क (मुंबई इंडियन्स), लॉस एंजेलिस नाइट राइडर्स (कोलकाता नाइट राइडर्स), टेक्सास सुपर किंग्स (चेन्नई सुपर किंग्स) और सिएटल ओर्काज (दिल्ली कैपिटल्स) शामिल हैं. एमसीएल (और परोक्ष रूप से आईपीएल) क्रिकेट को उस देश में स्थापित करने का काम कर सकती है जहां अब तक बेसबॉल और बॉस्केटबॉल का ही बोलबाला रहा है.
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) की इंटरनेशनल लीग टी-20 (आईएलटी-20) भी इसी ट्रेंड को आगे बढ़ाती है. इसकी छह में से चार टीमों पर आईपीएल और डब्ल्यूपीएल (वीमेंस प्रीमियर लीग) से जुड़ी टीमों के मालिकों का स्वामित्व है.
साल 2011 में शुरू हुई बिग बैश लीग (बीबीएल) ऐसा पहला टूर्नामेंट था जिसमें आईपीएल की सफलता को दोहराने की कोशिश की गई थी. बीबीएल का फ्रेंचाइज मॉडल, मनोरंजन को सबसे आगे रखने वाली इसकी सोच और स्ट्रैटेजिक टाइमआउट जैसे इसके फ़ीचर्स, इस पर आईपीएल के असर को ही दर्शाते हैं. इस लीग ने आईपीएल की तरह खुद भी टी-20 क्रिकेट में कई नई चीजें जोड़ी हैं, जैसे पॉवर सर्ज, बैश बूस्ट और एक्स-फैक्टर रूल.
क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के प्रतिबंध के चलते बीबीएल में बाक़ी क्रिकेट लीग्स की तरह सीधा विदेशी निवेश नहीं हुआ है. अगर इस प्रतिबंध को हटा दिया जाता है तो आईपीएल से जुड़े लोग और संस्थाएं बीबीएल को और बढ़ाने में वैसी ही भूमिका निभा सकते हैं जैसा उन्होंने बाकी लीग्स के मामले में किया है.
आईपीएल से प्रेरित कई लीग्स अपने महिला टूर्नामेंट्स भी शुरु कर चुकी हैं. ऑस्ट्रेलिया की ‘वीमन्स बिग बैश लीग’ (डब्ल्यूबीबीएल), इंग्लैंड का ‘द हंड्रेड वीमेंस कॉम्पटीशन’ और ‘वीमन्स कैरेबियन प्रीमियर लीग’ (डब्ल्यूसीपीएल) ऐसे ही कुछ उदाहरण हैं. लेकिन आईपीएल की इतनी सफलता के बावजूद, डब्ल्यूपीएल को शुरू होने में 15 साल लग गये. आईपीएल की तरह इस लीग ने भी भारतीय महिला क्रिकेट में क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं. दूसरी महिला लीगों में आईपीएल फ्रेंचाइजियों की भागीदारी भी विश्व भर में महिला क्रिकेट को पहले से अधिक पेशेवर बनाने का काम कर रही है.
आईपीएल की आर्थिक ताकत जबरदस्त है. 2022 में इसके मीडिया राइट्स 6.2 अरब डॉलर की रिकॉर्ड क़ीमत में खरीदे गए. इससे आईपीएल प्रति मैच कमाई के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा खेल आयोजन बन गया. इस मामले में सिर्फ अमेरिका की नेशनल फुटबॉल लीग (एनएफएल) ही उससे आगे है. इतनी बड़ी कमाई की वजह भी साफ है—2023 के आईपीएल फाइनल को सिर्फ टीवी पर ही 50.5 करोड़ लोगों ने देखा. इस जबरदस्त कमाई ने आईपीएल से जुड़े लोगों और संस्थाओं को क्रिकेट और खिलाड़ियों के विकास के लिए जरूरी संसाधन उपलब्ध कराने का काम किया हैं.
आईपीएल की मजबूत वित्तीय स्थिति ने इसे क्रिकेट में नई तकनीकों के प्रयोग के मामले में भी अग्रणी बनाया है. आईपीएल ने स्पाइडरकैम, अल्ट्रा-मोशन रीप्ले और ऑगमेंटेड रियलिटी (एआर) जैसी नई तकनीकों को क्रिकेट का जरूरी हिस्सा बनाने का काम किया है. वर्तमान क्रिकेट के सबसे जरूरी फीचरों में से एक डीआरएस को बेहतर बनाने में भी आईपीएल की बड़ी भूमिका है. इसके अलावा स्पोर्ट्स एनालिटिक्स और टैलेंट स्काउटिंग के क्षेत्र में भी इंडियन प्रीमियर लीग ने अभूतपूर्व कार्य किया है. इसकी सभी टीमें अपने खिलाड़ियों के चयन और मैच रणनीति बनाने के लिए कई तरह की आधुनिक डेटा तकनीकों का सहारा लेती हैं.
दक्षिण अफ्रीका के दिग्गज बल्लेबाज एबी डि विलियर्स, जो आईपीएल के सबसे चहेते विदेशी खिलाड़ियों में से एक रहे हैं, ने एक बार कहा था, ‘एशेज और दूसरी बड़ी सीरीज़ के चलते टेस्ट क्रिकेट तो शानदार है. लेकिन अगर आप मुझसे पूछें, तो आईपीएल सबसे ऊपर है, यह दुनिया का नंबर एक टूर्नामेंट है.’ आईपीएल ने दुनिया भर के बेहतरीन खिलाड़ियों को एक साझा मंच देकर न सिर्फ उनके खेलने के तरीके को प्रभावित किया है बल्कि खिलाड़ियों की जिंदगियों में और भी कई बड़े बदलाव लाये हैं. एबी डि विलियर्स, क्रिस गेल, हेनरी क्लासेन, ट्रेविस हेड और डेविड वॉर्नर जैसे खिलाड़ी अब भारत के घर-घर में पहचाने जाने वाले नाम हैं. विभिन्न आईपीएल टीमों से जुड़े शहरों और राज्यों में इनका रुतबा और इनके प्रति लगाव किसी भारतीय क्रिकेट सुपरस्टार से कम नहीं है. उधर विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे भारतीय खिलाड़ी आज ग्लोबल स्पोर्ट्स सुपरस्टार हैं तो इसमें भी आईपीएल की एक बड़ी भूमिका है.
आईपीएल एक शानदार क्रिकेट टूर्नामेंट है, इसमें कोई शक नहीं. लेकिन दो महीने तक चलने वाली यह लीग अक्सर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट आयोजनों के आड़े भी आती रहती है. ऐसे में खिलाड़ियों को यह मुश्किल फैसला लेना पड़ता है कि वे अपनी राष्ट्रीय टीम के लिए खेलें या फ्रेंचाइज़ी क्रिकेट को प्राथमिकता दें. यह सवाल इसलिए भी बड़ा है क्योंकि आईपीएल जैसे टूर्नामेंट न सिर्फ खिलाड़ियों को ज्यादा आर्थिक सुरक्षा देते हैं, बल्कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जबरदस्त लोकप्रियता भी दिलाते हैं.
आईपीएल से ही जुड़ा एक और विवादित मुद्दा यह है कि भारतीय पुरुष क्रिकेटरों के विदेशी लीगों में खेलने पर प्रतिबंध है. बीसीसीआई की इस नीति के चलते आईपीएल की एक्सक्लूसिविटी तो बनी हुई है लेकिन यह भारतीय खिलाड़ियों को अलग-अलग माहौल में खेलने का अनुभव पाने से भी रोकती है. दिलचस्प यह है कि भारतीय महिला क्रिकेटर इस मामले में आज़ाद हैं. हरमनप्रीत कौर, स्मृति मंधाना, जेमिमा रोड्रिग्स और शेफाली वर्मा जैसी कई महिला क्रिकेट खिलाड़ी पिछले कई सालों से डब्ल्यूबीबीएल और द हंड्रेड जैसी विदेशी लीगों में हिस्सा लेती रही हैं. जल्द ही पुरुष क्रिकेटरों को भी ऐसा करने की इजाज़त मिल सकती है. इससे न केवल उन्हें अपने स्किल्स और बेहतर करने का मौका मिलेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उनकी ब्रांड वैल्यू भी बढ़ जाएगी. सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि इसके चलते पहले से लगातार बहुत ज्यादा क्रिकेट खेलने वाले भारतीय खिलाड़ी और भी थकान का शिकार हो सकते हैं.
जैसे-जैसे आईपीएल अपनी वैश्विक पकड़ मजबूत कर रहा है, इसका क्रिकेट पर असर और गहरा होता जा रहा है. नई टीमों के जुड़ने और नए बाजारों में विस्तार की चर्चाओं के बीच, यह लीग और भी बड़ी बनने की राह पर है. लेकिन बड़ी ताकत के साथ बड़ी जिम्मेदारी भी आती है. अब सबसे बड़ी चुनौती यह है कि व्यावसायिक सफलता और क्रिकेट के बीच संतुलन कैसे बनाए रखा जाए. क्या आईपीएल क्रिकेट की मूल भावना को बरकरार रखते हुए अपनी बादशाहत कायम रख सकती है? इस सवाल का जवाब तो समय ही देगा. लेकिन एक बात साफ है—आईपीएल ने पहले ही क्रिकेट को हमेशा के लिए बदल दिया है.
यह आलेख सत्याग्रह की सहयोगी वेबसाइट क्रिकेटेस.कॉम पर अंग्रेज़ी में प्रकाशित हो चुका है.